4 मई को रविवारीय सप्तमी और गंगा सप्तमी एक अदभुत संयोग।

रविवारीय सप्तमी का शास्त्रों में विशेष महत्व बताया गया है। रविवार को पढ़ने वाली सप्तमी का जप,तप,दान,ध्यान अक्षय होता है यह सप्तमी सूर्य ग्रहण के समान फल प्रदायक है। इस तिथि को जप तप ध्यान दान का फल हजारों गुना मिलता है। इस बार यह सप्तमी कल यानी रविवार को पड रही है। बैशाख शुक्ल पक्ष की सप्तमी को गंगा सप्तमी के नाम से जाना जाता है। ऐसा माना जाता है की इसी सप्तमी को गंगा जी का अवतार हुआ था। जिन लोगों को संकटों ने घेर रखा है। जैसे रोग, वैवाहिक समस्या,मुकद्दमा इत्यादि वो लोग सुबह गंगा स्नान करके सूर्य देव का पूजन,जप करें। यह सप्तमी। पुष्य नक्षत्र में पड़ रही। पुष्य नक्षत्र के स्वामी बृहस्पति देव हैं। इसलिए।ब्रहस्पति देव के मंत्रों का जाप भी शुभ दायक होगा।

तो 4 में सन 2025 को गंगा जी सूर्य देव बृहस्पति देव की कृपा पाने के लिए पूजा पाठ अवश्य करें।

उगते सूर्य देव को एक लोटा जल आवश्य दें।

            स्वामी त्रिवेदी….

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